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गांधी चौक में विधि विधान से पूजा अर्चना करते हुए ठाकुर विक्रमसिंह नाचना
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— गांधी चौक में ठाकुर विक्रमसिंह नाचना ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर किया होली का दहन
जैसलमेर । असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की विजय और परमानंद का आनंदोत्सव का पर्व है होली । गुरूवार को भद्रा को टालते हुए शुभ मुहूर्त, सांय 7.40 से 8.49 तक स्वर्णनगरी सहित जिले भर में होलिका दहन शुरू हो गया । शहर के गांधी चौक में ठाकुर विक्रमसिंह नाचना ने के हाथों विधिविधान से पूजा करवाकर होलिका दहन करवाया गया । शहर के आचार्य पाड़ा में पंचशील मंदिर के पास होलिका दहन विधिविधान से किया गया । इस मौके पर उपस्थित जनों ने एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं प्रेषित की । अब शुक्रवार को रंग-अबीर के साथ रंगोत्सव होगा जिसे धुलण्डी पर्व कहते हैं ।
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आचार्य पाड़ा में पंचशील मंदिर के पास होलिका दहन
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नाचना में भी होलिका दहन
जिले के नहरी क्षेत्र नाचना के मुख्य चौक में विधि विधान से शुभ मुहूर्त में होलिका दहन हुआ । इस अवसर पर सत्यनारायण चांडक ने विधि विधान से पूजन किया और कन्हैयालाल सेवग ने हर वर्ष की भाँति प्रह्लाद को बाहर निकाला । ग्रामीणों ने उल्लास और उमंग के साथ दर्शन किए तथा एक दूसरे से गले मिलकर दी होली की शुभकामनाएं दी ।
सोशल मीडिया भी रंगा होली के रंग में
होली का इतंजार सभी को बेसब्री से रहता है। इस त्योंहार में सभी अपनी परेशानियों को भूला कर रंगों में रंग जाते है। गुरूवार की सुबह से ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्स ऐप आदि पर हैप्पी होली ट्रेंड कर रहा है। लोग एक दूसरे को होली की शुभकामनाओं के साथ सुरक्षित होली खेलने का भी संदेश दे रहे है।
होली का महत्व
दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने जप-तप से एक ऐसा वरदान प्राप्त कर लिया कि भगवान श्रीहरि को नृसिंह अवतार लेना पड़ा। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद थे। वह श्रीहरि को ही भजते थे। पिता चाहते थे कि सारी पूजा छोड़कर वह उसके आधिपत्य को स्वीकार करे। प्रहलाद ने यह स्वीकार नहीं किया। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका थी। उसको वरदान था कि अग्नि भी उसका नुकसान नहीं कर सकती। वह प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठी। होलिका भस्म हो गई। भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। होली का व्रत नहीं होता है।
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