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नहीं गवारा, अब ये आवारा

नवीन वाधवानी के साथ रिपोर्टर मुकेश पनिया

— फिर एक स्थानीय नागरिक दिलिपसिंह सौलंकी को किया घायल, उपचार के लिए जोधपुर जाना पड़ा

— पशुपालकों पर परिषद एक्ट व पुलिस कार्रवाई करने का दावा किया गया। अब तक एक भी पशुपालक पर कानूनी कार्रवाई नहीं हुई।

जैसलमेर । शहर में आवारा पशुओं की समस्या जानलेवा साबित हो रही है । लाख दावों और कोशिशों के बावजूद नगर परिषद समस्या का समाधान करने में असफल साबित हो रही है, जिसका खामियाजा सीधे तौर पर शहर के बेकसूर नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है । सैलानियों के साथ स्थानीय नागरिकों को लगातार घायल करने की घटनाएं घटी रही है लेकिन नगरपरिषद प्रशासन है कि इस पर अंकुश लगाने में असफल रहा है । रविवार को एक स्थानीय नागरिक दिलिपसिंह सौलंकी को एक आवारा पशु द्वारा घायल किया गया जिनको उपचार के लिए जोधपुर जाना पड़ा ।

शहर की आबादी 6 लाख से अधिक है। इनकी सुरक्षा और मूलभूत सुविधा मुहैया कराने का दायित्व जिला, पुलिस व नगरपरिषद का है, लेकिन आवारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने में तीनों विभाग घुटने टेक चुके हैं।

परिषद के रिकॉर्ड पर निगाह दौड़ाएं तो शहर में 200 से अधिक पशुपालकों के 2 हजार से अधिक पशु शहर की सड़कों पर विचरण करते हैं। इनके कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। कई लोग घायल होते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग जान तक गवां चुके हैं। बावजूद समस्या के समाधान के लिए परिषद में सिर्फ कागजी कार्रवाई चल रही है। लाख दावों, कोशिश और अभियान के बावजूद शहर में आवारा पशुओं की समस्या खत्म होने की बजाय,  दिनों दिन विकराल रूप लेती जा रही है।
 
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले इंग्लैंड से आई एक विदेशी पर्यटक मालिशा वो भी इन आवारा पशुओं द्वारा ही घायल हुई । जैसलमेर निवासी दिलीपसिंह सौलंकी भी रविवार को इन्हीं आवारा पशुओं से घायल हुए जिनको उपचार के दौरान जोधपुर जाना पड़ा और नगर परिषद है की अपनी आँखे बंद किये किसी बड़ी अनहोनी का इन्तजार कर रही हे।

नगर परिषद पशुओं की समस्या से निजात दिलाना तो दूर, मूलभूत सुविधा जुटाने में भी नाकाम साबित हो रही है। परिषद के जिम्मेदारों को बेकसूर नागरिकों की जान की भी परवाह नहीं है। यही हाल रहा तो नागरिकों का सड़क पर निकलना दूभर होगा। समय रहते भी अगर परिषद के आला अधिकारी अपनी आँखे खोल ले तो आवारा पशूओं के कारन किसी की जान नहीं जा पायेगी।

आवारा पशुओं से हे यह समस्या

- दुर्घटना की आशंका रहती है।
- यातायात बाधित होता है।
- शहर में गंदगी और अन्य समस्या रहती है ।
- शहर की सुंदरता प्रभावित होती है ।


नवीन वाधवानी के साथ रिपोर्टर मुकेश पनिया
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नहीं गवारा, अब ये आवारा नहीं गवारा, अब ये आवारा Reviewed by wadhwani news on March 07, 2018 Rating: 5

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