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शहर की बुनियादी जरूरतें अधूरी

— इस वर्ष जनता फिर चुनेंगी विधायक
— नगर की प्रमुख समस्याओं को लेकर जनप्रतिनिधि जरा भी गंभीर नहीं
— मूलभूत सुविधाओं को पांच वर्ष में नहीं किया जा सका पूरा, फिर आई चुनाव की बारी

जैसलमेर । इस वर्ष राजस्थान विधानसभा के चुनाव होंगे । इस जिले में दो विधानसभा क्षेत्र हैं जहां से जनता को अपने क्षेत्र के विकास के लिए विधायक को चुनने का अवसर मिलेगा । गत विधानसभा चुनावों में जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी और तीन हजार से कम वोटों से भाजपा के उम्मीदवार ने जीत कायम कर विधायक का पद हासिल किया । जीत की इस गणित में शहर के वोटरों को निर्णायक माना जा रहा है । इसलिए आगामी चुनावों में हर पार्टी अपनी जीत के लिए शहरी वोटरों पर पकड़ बनाने की रणनीति में जुटी है । लेकिन शहर की प्रमुख समस्याओं को लेकर जनप्रतिनिधि जरा भी गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं ।

शहर में मुश्किल डगर

शहर में चलना मुश्किल होता जा रहा है | फुटपाथ पर अतिक्रमण, तंग और टूटे रास्ते | नगरपरिषद क्षेत्र सीमा में शहर के 35 वार्डों में से बहुत कम वार्डों में चमचमाती सड़कें या समान रूप से जमी डाबड़ियां हैं । चलने के लिए पथ न सुगम है और न ही साफ । ज्यादातर वार्डों में सड़कें कम गड्ढे ज्यादा हैं । ज्यादातर मुख्य मार्गों की बदहाल स्थिति है । सड़कों में मौजूद गड्ढों ने लोगों की कमर ताड़कर रख दी है । जबकि जनप्रतिनिधि इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दे रहे ।

रोजाना पानी को तरसे, मिले वो भी साफ नहीं

शहर के वासिंदों को रोजाना पानी मिलने की ख्वाहिशें अब भी अधूरी है । नलों से साफ पानी की गारंटी नहीं है । करोड़ों रूपए खर्च करने के बाद भी शहर के लोगों को साफ और रेगूलर पानी की सप्लाई नहीं हो रही है ।

बिजली की परेशानी

शहर में बिजली की व्यवस्था भी स्वस्थ नहीं है । शहर में लगे बिजली के खम्भे, टांसफर्मर और तारों का जंजाल लंबे समय से मरम्मत की आवश्यकता जता रहे हैं लेकिन विभागीय उदासीनता ने बीमार कर रखे हैं जो कि समय समय पर बिजली में व्यवधान उत्पन्न करते रहते हैं । आंधी और बरसात के दिनों में घंटों बिजली गायब रहती है । इसके अलावा वोल्टेज की मार भी कई बार बिजली के उपकरणों को झेलनी पड़ती है ।

शिक्षा के संसाधन नहीं

शहर की कई स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं है । स्कूलों में पर्याप्त कक्षा कक्ष और अन्य सुविधाएं भी नहीं है । जिला मुख्यालय पर स्थित स्कूलों के बुरे हाल हैं तो ग्रामीण स्कूलों में ताला लगने की नौबतें आ जाती है । उच्च शिक्षा के लिए जिला मुख्यालय स्थित दो सरकारी कॉलेजों में भी व्याख्याताओं की कमी से शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है । शहर मेें उच्च शिक्षा के संसाधन भी नहीं है । पोस्ट ग्रेज्यूएशन की सुविधा नहीं है ।

अस्पताल खुद बीमार

शहर में चिकित्सा व्यवस्था का भी बुरा हाल है । यहां तक जिला अस्पताल तक खुद बीमार है । अस्पताल में न तो पर्याप्त दवाईयां है और न ही चिकित्सक । अस्पताल न साफ सफाई है और न ही सुरक्षा । अभी दो दिन पहले तो जिला सरकारी अस्पताल में इंसानियत भी गायब हो गई । ईलाज के अभाव में एक इंसान ने दम तोड़ दिया ।

शहर के सौंदर्य पर दाग

शहर की सबसे प्रमुख समस्या साफ—सफाई न होना ही है । शहर में घर, दुकान और दफ्तर से रोजाना लगभग 20 टन कचरा निकलता है । नगरपरिषद में इसके लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं । शहर में सैकड़ों कचरा पेटियों की आवश्यकता के विपरित दर्जन भर कचरा पेटियां रखी हुई हैं । इनका भी उचित ढंग से रख रखाव नहीं होने से कचरा ग​लियों और सड़कों पर फैला नजर आता है । इसके अलावा यहां की बिगड़ी सीवरेज व्यवस्था और तंग नालियों व नालों का पॉलीथीन से जाम होना भी गंदगी का कारण नासूर बनता जा रहा है । गंदा पानी गलियों, सड़कों और चौराहों पर तांडव मचाता नजर आता है । शहर के सौंदर्य पर दाग ही दाग नजर आने लगते हैं ।



शहर की बुनियादी जरूरतें अधूरी शहर की बुनियादी जरूरतें अधूरी Reviewed by wadhwani news on January 06, 2018 Rating: 5

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