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बुनियादी सुविधाओं के बिना सफाई की जंग

— सफाई कर्मचारियों को कचरा उठाने के लिए तसला,  फांवड़ा,  हैंड गिलप्स ,  मास्क आदि सामग्री नहीं
— कचरा उठाते न सिर्फ चोटिल हो रहे हैं बल्कि, संक्रमण से गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे है

जैसलमेर । क्या बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों की बजाय सिर्फ हौंसले की उड़ान से भारत को स्वच्छ बनाया जा सकता है। किसी भी काम को अन्जाम तक पहुँचाने के लिये बेशक हौसला जरूरी है मगर उतने ही आवश्यक हैं संसाधन। संसाधन रूपी हथियारों के बिना गन्दगी के खिलाफ छेड़ी गयी स्वच्छ भारत अभियान की मुहिम अन्जाम तक पहुँच सकेगी इसमें सन्देह है।  जनसंख्या विस्फोट से आबादी में तेजी के साथ इजाफा हुआ है मगर सफाई कर्मियों की संख्या जस की तस बनी हुई है। बची खुची कसर ठेकेदारी प्रथा ने पूरी कर दी है। इस प्रथा ने गरीब सफाई कर्मियों को राहत कम और दर्द ज्यादा दिया है। बच्चे शिक्षा से वंचित हैं तो जिम्मेदारी के बोझ तले दबे जवान उम्र से पहले ही बूढ़े नजर आने लगे हैं।


शहर के गली मोहल्लों से कचरा उठाने वाले सफाई कर्मचारियों को नगरपरिषद संसाधन उपलब्ध नहीं करा रही है, जिससे सफाई कर्मचारी कई बार कचरा उठाते न सिर्फ चोटिल हो रहे हैं। बल्कि गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे है। आलम यह है कि कई सफाई कर्मचारियों को कचरा उठाने के लिए तसला, फांवड़ा, हैंड गिलप्स , मास्क आदि सामग्री नहीं दी गई है, जिससे कई बार कचरा उठाने के दौरान सफाई कर्मचारी चोटिल होते हैं। साथ ही उनके संक्रमण का शिकार होने का खतरा बना रहता है।
बुनियादी सुविधाओं के बिना सफाई की जंग बुनियादी सुविधाओं के बिना सफाई की जंग Reviewed by wadhwani news on November 30, 2017 Rating: 5

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